क्रांतिकारी केसरीसिंहजी बारठ
क्रांति शब्द को सुनते ही ऐसा लगता है जैसे किसी ने कानों में गरम-गरम अंगारे डालें हैं, जैसे शांत वातावरण में अचानक आँधी आ गयी है, जैसे किसी ने शांत…
क्रांति शब्द को सुनते ही ऐसा लगता है जैसे किसी ने कानों में गरम-गरम अंगारे डालें हैं, जैसे शांत वातावरण में अचानक आँधी आ गयी है, जैसे किसी ने शांत…
जे न होतो दुर्गो बलू तो सुन्नत होती आखै राजस्थान की श्वेत केश, श्वेत वेष, श्वेत अश्व, श्वेत शमश्रु, तन पर भारी कवच, एक हाथ में भाला और उस भाले…