गुसाईंजी

गुसाईंजी महाराज हिन्दुओं के देवता हैं। इनका एक प्रसिद्ध मंदिर नागौर जिले के जुंजाला गाँव में स्थित है। यद्यपि गुसाईंजी हिन्दुओं के देवता हैं परन्तु मुसलमान भी इनको मानते हैं।कहते हैं कि जब भगवान ने वामन अवतार धारण कर पृथ्वी का नाप किया तो पहला कदम मक्का मदीना में रखा गया था। जहाँ अभी मुसलमान पूजा करते हैं और हज करते हैं। दूसरा कदम कुरुक्षेत्र में रखा था जहां अभी पवित्र नहाने का सरोवर है। तीसरा पैर ग्राम जुंजाला के राम सरोवर के पास रखा जहाँ आज मन्दिर है। तीर्थ राम सरोवर में हिंदू और मुसलमान दोनों धर्मों के लोग आते हैं। हिंदू इसे गुसांईजी महाराज कहते हैं तो मुसलमान इसे बाबा कदम रसूल बोलते हैं

एक समय राजा बलि इस धरती पर राज करता था। राजा बलि ने अश्वमेघ यग्य और अग्नि होम किए। उसने इस तरह 99 यज्ञ संपन्न कर दिए। राजा बलि का यश चारों और फैलने लगा और वह इन्द्रलोक का राजा बनने की सोचने लगा। राजा बलि ने 100 वें यज्ञ का आयोजन रखा और इसके लिए निमंन्त्रण भेजे. सारी नगरी को इस अवसर के अनुरूप सजाया गया। सारी नगरी को न्योता दिया गया।

भगवान ने सोचा कि राजा बलि घमंड में आकर कहीं इन्द्र का राज न लेले. भगवान ने वामन अवतार का रूप धारण किया। अपना शरीर ५२ अंगुल के बराबर लंबा किया और राजा बलि की नगरी के समीप धूना जमा लिया। राजा बलि ने यज्ञ शुरू किया और मंत्रियों को हुक्म दिया कि नगरी के आस पास कोई भी मनुष्य यहाँ आए बिना न रहे। मंत्रियों ने छानबीन की तो पता चला कि भगवान रूप वामन अपनी जगह बैठा है। मंत्रियों के कहने पर वह नहीं आए। तब राजा बलि ने ख़ुद जाकर महाराज से निवेदन किया। महाराज ने राजा से कहा कि मैं आपके नगर में तब प्रवेश करुँ जब मेरे पास कम से कम तीन पांवडा (कदम) जमीन मेरे घर की हो। इस पर राजा बलि को हँसी आ गई और कहा की शर्त मंजूर है।

राजा बलि का वचन पाकर भगवान ने अपनी देह को इतना लंबा किया कि पूरी पृथ्वी को दो पांवडा (कदम) में ही नाप लिया। और पूछा कि तीसरा कदम कहाँ रखू. इस पर राजा बलि घबरा गए और थर-थर कांपने लगे। राजा बलि ने कहा कि यह तीसरा कदम मेरे सर पर रखें. इस पर भगवान ने तीसरा पैर राजा बलि के सर पर रख कर उसको पाताल भेज दिया। 

शेरेरा गुसाईंजी मंदिर की कुछ फोटो और वीडियो

गुसाईंजी महाराज का मंदिर शेरेरा गांव से 2 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिणी दिशा में स्थित है गांव से जाने के लिए रास्ता अप्रैल 2023 तक कच्चा था , गांव के सभी लोगों की श्रद्धा गुसाईंजी महाराज के प्रति काफी है इस गांव के गोदारा जाति जाट के लोग भोपा बनकर डांस करते हैं और उनके साथ- साथ गांव के लोग भी भोपा की वेशभूषा पहनकर डांस करते हैं इस मंदिर पर साल में एक बार गांव की ओर से सामूहिक जागरण का प्रोग्राम होता है इस जागरण में बाजरी का रोटियां और  रगड़ी हुई लाल मिर्च का प्रसाद के रूप में लेते हैं

चेतन धुणा गोसाई जी के मंदिर के आगे एक छतरी के नीचे एक  धुणा  जलता है उसे चेतन धुणा  कहते हैं चेतन धुणा होना का मतलब होता है 24 घंटे जलने वाला धुणा, जब  मंदिर पर जागरण होता है  तब इस चेतन धुणा के  बाहर, गांव के लोग भोपा बनकर डांस करते हैं और इस चेतन धुणा  की भभूति गांव के लोग अपने घरों में ले जाते हैं और संकट के समय में कैसे काम में लेते हैं

ओरण —– गुसाँई  जी महाराज के मंदिर के चारों तरफ खाली जगह पड़ी है उसे ओरण कहते हैं यह गाय भैंस बकरी आदि के लिए चलने  के लिए छोड़ी हुई है काफी टाइम से सुनी सुनाई बात आ रही है कि इस ओरण से कोई लकड़ी नहीं ले जाता है एक बार लकड़ी ऊँट गाड़ो में भर कर के ले गये थे तो  लकड़ियों में  सर्प ही सर्प  हो गये, और कुछ लोग बताते हैं की लकड़ियों के सर्प बन जाते हैं इन्हीं कारणों से कारण लकड़ियाँ इस गांव के लोग और आसपास के लोग नहीं ले जाते हैं

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